समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार में मौसम की झलक
डॉ. राजेंद्र प्रसाद, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम विभाग के अनुसार, समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में 9 फरवरी तक आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे। हालांकि, मौसम शुष्क रहेगा।
- अधिकतम तापमान: 26 से 28 डिग्री सेल्सियस
- न्यूनतम तापमान: 12 से 15 डिग्री सेल्सियस
- पछिया हवा की रफ्तार: 8 से 10 किलोमीटर प्रति घंटे
- सापेक्ष आर्द्रता: सुबह 70-85% और दोपहर 50-60%
किसानों के लिए जरूरी कृषि सलाह
1. अरहर की फसल में फल मक्खी कीट से सावधान रहें
- समस्या:
- फल मक्खी कीट बीजों को खाकर अरहर की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे उपज में कमी हो सकती है।
- सलाह:
- बचाव के लिए करताप हाइड्रोक्लोराइड दवा का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल तैयार करें और छिड़काव करें।
2. आम और लीची के बागानों में मंजर
- समस्या:
- आम और लीची के बागानों में मंजर की समस्या बढ़ रही है।
- साथ ही, बागानों में किसी भी प्रकार की कर्षण क्रिया से बचने का निर्देश दिया गया है।
- सलाह:
- दीमक की समस्या होने पर क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर मुख्य तने और आसपास की मिट्टी में छिड़काव करें।
3. पपीते की खेती के लिए नर्सरी तैयार करें
- सलाह:
- पपीता की खेती करने वाले किसानों को 10 से 15 फरवरी तक नर्सरी तैयार कर बीज की बुआई कर लेने की सलाह दी जाती है।
- उचित मात्रा में खाद डालकर (खेत तैयार न करने वाले किसानों को 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर खाद) खेत की तैयारी करें, ताकि बढ़ते तापमान का पौधों पर विपरीत असर न पड़े।
4. गरमा मौसम की सब्जियों की बुआई
- सलाह:
- जिन किसानों ने खेत तैयार कर लिया है, वे गरमा मौसम की सब्जियों की बुआई जल्द शुरू करें।
- सब्जियों में निकाई-गुड़ाई और जरूरत के अनुसार सिंचाई पर विशेष ध्यान दें।
5. आलू की फसल के लिए विशेष निर्देश
- सलाह:
- आलू की अगात फसल की खुदाई कर लें।
- बीज वाली फसल की ऊपरी लत्ती काटकर खुदाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।
- पिछात आलू की फसल में कटवर्म या कजरा पिल्लू की निगरानी करें, क्योंकि ये कीट कंद बनने की अवस्था तक फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
निष्कर्ष
समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार में हल्के बादल छाए रहने के साथ-साथ शुष्क मौसम की स्थिति में, किसानों को फसलों की देखभाल के लिए उपरोक्त सलाह का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उचित दवाओं का छिड़काव, समय पर नर्सरी तैयार करना, और सिंचाई तथा खेत की तैयारी में ध्यान देने से फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार संभव होगा।
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