बिहार में शराबबंदी के बावजूद सरकारी स्कूल के हेड मास्टर की नशे में हालत, वायरल वीडियो ने उठाए सवाल

घटना का विवरण

  • वीडियो फुटेज:
    वायरल वीडियो में देखा गया है कि हेड मास्टर जगदीश अपने चेहरे को ढककर, पूरी तरह नशे में धूत होकर स्कूल पहुँचे। जैसे ही स्थानीय लोगों को इस बात की जानकारी मिली, कुछ लोगों ने हेड मास्टर के पास जाकर उनसे शराब पीने की बात पूछी।
  • बयान:
    जब स्थानीय लोगों ने उनसे पूछा कि क्या वह शराब पी रहे हैं, तो हेड मास्टर ने तुरंत पल्ला झाड़ते हुए कहा, “मैं तो छुट्टी पर हूं।” यह बयान सामने आते ही वीडियो में कैप्चर हो गया।
  • पुलिस कार्रवाई:
    घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। पुलिस के पहुंचते ही आरोपी शिक्षक (हेड मास्टर) ने स्कूल से फरार होने की कोशिश की। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह हेड मास्टर विद्यालय में नियमित रूप से शराब पीकर आते हैं और इससे बच्चों को परेशानी होती है तथा विद्यालय की व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाती है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

  • जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय सिंह:
    जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय सिंह ने मामले की जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी है, जहाँ शराब बेचना और पीना दोनों गैरकानूनी हैं। इस मामले में आगे की जांच के बाद दोषी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  • वायरल वीडियो का प्रभाव:
    वायरल वीडियो के कारण सवाल उठता है कि क्या इस हेड मास्टर के भरोसे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाएगी। साथ ही, यह घटना सरकारी स्कूलों में अनुशासन एवं व्यवस्था पर भी प्रश्न चिह्न लगाती है।

पिछली घटनाओं की झलक

इस घटना के अलावा, 26 जनवरी को मीनापुर प्रखंड के धरमपुर पूर्वी इलाके स्थित मिडिल स्कूल में भी नशे की हालत में तिरंगा फहराने जाते हुए प्रिंसिपल संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि शराबबंदी के कड़े कानून होते हुए भी कुछ सरकारी शिक्षकों द्वारा नियमों की अनदेखी की जा रही है।

निष्कर्ष

हालांकि बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन इस वायरल वीडियो ने यह सवाल उठाया है कि क्या सरकारी स्कूलों में अनुशासन और नैतिकता का पालन किया जा रहा है। हेड मास्टर जगदीश के बयान “मैं तो छुट्टी पर हूं” से यह प्रतीत होता है कि नियमों का उल्लंघन उन्हें कोई बड़ी बात नहीं लगती। प्रशासन को इस मामले में शीघ्र और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएँ और बच्चों को एक सुरक्षित एवं अनुशासित शिक्षा वातावरण मिल सके।

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