घटनाक्रम की रूपरेखा
समस्तीपुर में एक भयंकर घटना ने पुलिस की कर्तव्यहीनता और अपराधिक गठजोड़ को उजागर कर दिया है। हसनपुर थाना क्षेत्र में एक विवाद में, जिसमें जमीन को लेकर लूटपाट, मारपीट व हत्या के प्रयास हुए थे, 72 वर्षीय रामसेवक राय ऊर्फ लाल बाबा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पीड़ित के पुत्र राममणि राय ने निशा भारती, हसनपुर थानाध्यक्ष, पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ऐसे हमलों के दौरान अपराधिक घटनाओं पर उचित कार्रवाई नहीं की और आरोपीयों के साथ सांठगांठ भी की।
विवाद का इतिहास और घटनाक्रम
- पुराने झगड़े का सिलसिला:
राममणि राय के अनुसार, इस मामले की शुरुआत 2017 में ही हुई थी जब आरोपियों – जिनमें उनके पिता के सहोदर भाई समेत अन्य शामिल थे – ने इसी तरह की हिंसात्मक घटनाएं अंजाम दी थीं। उस समय केस दर्ज हुआ था, लेकिन मामले को न्यायालय में विचाराधीन छोड़ दिया गया। - फिर से हिंसात्मक हमला:
बीते 9 नवंबर को फिर से इसी विवाद को लेकर हमला हुआ, जिसमें रामसेवक राय को हत्या की नियत से मार कर अधमरा कर दिया गया। पीड़ित परिवार ने बताया कि इन हमलों में बदमाशों ने घर में घुसकर नगद, जेवरात व अन्य कीमती सामान सहित 11 लाख से अधिक का लूट एवं हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया। - एफआईआर दर्ज करने में देरी:
निशा भारती ने लगभग 50 दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की। आखिरकार, धरना-प्रदर्शन और रोसड़ा एसडीपीओ के निर्देश के बाद मामला दर्ज हुआ। मामले से ठीक पहले, आरोपियों के आवेदन पर निशा भारती ने उन्हीं लोगों के विरुद्ध एफआईआर कर दिया था, जिससे मामले में खेल करने का आरोप भी लगाया गया।
पीड़ित परिवार की आवाज
राममणि राय ने अपने पिता की मौत का पूरा ठीकरा निशा भारती पर फोड़ दिया है। उन्होंने कहा,
“हम चाहते थे कि ऐसी घटना कभी न हो, लेकिन बदमाशों ने हमारे परिवार को भयानक तरीके से झकझोर दिया। पुलिस की मौजूदगी में भी उन्होंने लूटपाट और मारपीट कर हमारे परिजनों को घातक हथियारों से घायल कर दिया।”
इस आरोप में यह भी कहा गया कि पुलिस की निष्क्रियता और अपराधिक गठजोड़ ने पीड़ित परिवार को न्याय से वंचित कर दिया है।
प्रशासनिक कार्रवाई और विरोध प्रदर्शन
घटना के 50 दिन बाद, निशा भारती के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया कि पुलिस ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। इस पर पीड़ित परिवार ने रोसड़ा डीएसपी कार्यालय के अंदर शव को टेबल पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उपस्थित पुलिस कर्मियों में हड़कंप मच गया। घटना की तुरंत बाद पुलिस ने शव को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
जमीनी विवाद का सत्यापन
राममणि राय ने जोर देकर कहा कि यह मामला किसी भी जमीनी विवाद से संबंधित नहीं है, क्योंकि 30 वर्ष पूर्व ही जमीन का बंटवारा हो चुका था। उनके अनुसार, आरोपी उनके पिता के सहोदर भाई व अन्य लोग हैं। इस विवाद में कई बार पहले भी मारपीट और झगड़े हुए हैं, परंतु इस बार हिंसात्मक हमले ने परिवार को पूरी तरह तबाह कर दिया।
निष्कर्ष
यह मामला समस्तीपुर में पुलिस की कर्तव्यहीनता और अपराधिक गठजोड़ के गंभीर आरोपों को उजागर करता है। राममणि राय और उनके परिवार ने निशा भारती पर आरोप लगाया है कि उन्होंने घटना के दौरान न तो उचित कार्रवाई की और न ही आरोपीयों को पकड़ने में कोई दखल दिया। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस मामले की पूरी जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में ऐसे अत्याचार दोहराए न जाएँ।
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