दिल्ली स्टेशन भगदड़ में शिकार हुए विजय साह एवं कृष्णा देवी का अंतिम संस्कार, समस्तीपुर में शोक की लहर

दिल्ली स्टेशन की भगदड़: दर्दनाक घटना की झलक

दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भीड़भाड़ और भगदड़ में शिकार हुए दंपति विजय साह और कृष्णा देवी का शव, जब उनके पैतृक गांव को पहुंचा, तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। इस हादसे में दोनों की मौत के साथ-साथ उनके परिवार में भी गहरा आघात हुआ।

घटना का विस्तृत विवरण

1. परिवार और हादसे का सिलसिला

  • घटना का स्थान:
    समस्तीपुर जिले के कोठिया गांव में जब दंपति के शव लाए गए, तो गांव में भारी शोक छा गया।
  • पिछली तैयारियाँ:
    दंपति की अंतिम यात्रा एक साथ की गई। उनकी चिताएं नून नदी के किनारे जलाकर अंतिम संस्कार कर दी गईं।
  • परिवार की हालत:
    शव के साथ उपस्थित परिवार के सदस्यों की आंखों में आंसू थे। खासकर माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार इस दर्दनाक घटना से गहरे संकट में हैं।

2. मुकेश कुमार की दर्दभरी कहानी

दंपति के बेटे मुकेश कुमार ने दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना की दर्दनाक कहानी सुनाई:

  • कुंभ स्नान की भीड़:
    उनके परिवार के करीब 12 सदस्य प्रयागराज के कुंभ स्नान के लिए दिल्ली स्टेशन पहुंचे थे।
  • प्लेटफार्म-15 की अफरा-तफरी:
    पहली ट्रेन के रवाना हो जाने के बाद, प्लेटफार्म पर भीड़ बढ़ गई। दूसरी ट्रेन के आने की घोषणा पर अफरा-तफरी मच गई।
  • भगदड़ का दौर:
    मुकेश और उनके अन्य रिश्तेदार प्लेटफार्म-15 की ओर बढ़े, लेकिन अचानक भगदड़ मच गई।
  • आत्मरक्षा में विफलता:
    मुकेश खुद गिर पड़े और, अफसोस, अपनी मां, पिता और भगिनी को बचा न सके। उन्होंने पुलिस अधिकारी से मदद की गुहार लगाई, पर अधिकारी भी मौके से फरार हो गए।

अंतिम संस्कार और सामुदायिक प्रतिक्रिया

  • दंपति का अंतिम संस्कार:
    विजय साह एवं कृष्णा देवी की अंतिम यात्रा एक साथ हुई।
    • उनकी चिताओं को नून नदी के किनारे जलाकर अंतिम संस्कार किया गया।
  • अन्य परिवारिक मामलों का उल्लेख:
    वहीं, उनके परिवार की नतनी सुरुचि कुमारी का शव मुजफ्फरपुर जिले के बरियारपुर में अपने दादी के घर लाया गया, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया।
  • जनसमुदाय की प्रतिक्रिया:
    पूरे गांव में भारी भीड़ इकट्ठी हुई, स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधि शोक व्यक्त कर रहे थे।
    • परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों एवं गांववासियों की आंखों में दर्द और आँसू साफ नजर आ रहे थे।

निष्कर्ष

दिल्ली स्टेशन पर हुई भीड़भाड़ और भगदड़ ने विजय साह एवं कृष्णा देवी जैसे आदर्श व्यक्तियों की जिंदगी को हिला कर रख दिया। मुकेश कुमार की दर्दनाक गवाही ने इस घटना की भयावहता को स्पष्ट कर दिया है। यह त्रासदी न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा और व्यवस्था के प्रति चिंताएं भी बढ़ा देती है।

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