समस्तीपुर के सरकारी स्कूलों में नहीं पहुंची पूरी किताबें, बच्चों की पढ़ाई पर असर

समस्तीपुर: जिले के अधिकांश सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में इस बार भी किताबों की किल्लत देखने को मिल रही है। शिक्षकों और अभिभावकों के अनुसार, अब तक केवल 60 से 70 प्रतिशत किताबें ही बच्चों को मिल सकी हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बाकी किताबों के आने को लेकर कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई गई है।


अधूरी किताबों से लड़खड़ा रही पढ़ाई

राजकीय मध्य विद्यालय, जितवारपुर के प्रधानाध्यापक कौशल कुमार ने बताया कि अधूरी किताबों के कारण शिक्षण कार्य बाधित हो रहा है। गर्मी की छुट्टी के बाद बच्चे जब वापस आएंगे तो उनकी तैयारी अधूरी होगी, जिससे आगामी सत्र की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा।

अनुसूचित जाति जनजाति प्राथमिक विद्यालय, बहादुरपुर के हेडमास्टर रवि कुमार ने भी इसी चिंता को दोहराते हुए कहा कि पढ़ाई का संतुलन बिगड़ रहा है, शिक्षक भी असहाय महसूस कर रहे हैं।


केवल 70% किताबों का वितरण

उमवि लगुनियां सूर्यकंठ के प्रधानाध्यापक ने बताया कि कक्षा 6 और 7 के छात्रों को केवल 70% किताबें मिल पाई हैं। इससे बच्चों की समझ और अभ्यास में अंतर आ रहा है।


अभिभावकों में नाराजगी

एक अभिभावक ने नाराजगी जताते हुए कहा, “हर साल यही हाल होता है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है, लेकिन बुनियादी जरूरतें ही समय पर नहीं पूरी होतीं।” उन्होंने सुझाव दिया कि किताबों की कीमत बच्चों के बैंक खातों में भेज दी जाए ताकि वे खुद किताबें खरीद सकें।


शिक्षा विभाग की सफाई

जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने जानकारी दी कि अब तक जिले में 70% किताबों का वितरण हो चुका है। कुल 6,48,489 किताबों की मांग राज्य सरकार से की गई थी, लेकिन अब तक केवल 4,50,550 किताबें ही प्राप्त हुई हैं। शेष किताबों की मांग दोबारा भेजी गई है। किताब मिलते ही उनका तत्काल वितरण किया जाएगा।


📚 निष्कर्ष: बच्चों की पढ़ाई में किताबें सबसे बुनियादी जरूरत हैं। समय पर वितरण नहीं होने से ना केवल शिक्षक असहाय होते हैं बल्कि छात्रों का शैक्षणिक विकास भी बाधित होता है। ज़रूरत है कि शिक्षा विभाग इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले।


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